सहरसा में क्वारंटाईन सेंटर का हाल बद से बदतर है । इस हालात में जिन मजदूरों को यहां रखा गया है उन्होने रोज सरकार और प्रशासन की इस बदइंतजामी का जीता जागता उदाहरण बन रहे हैं, सहरसा के कई क्वारंटाइन सेंटरों से लगातार मजदूरों के हंगामें करने की तस्वीरें सामने आ रही है । प्रवासी मजदूर सरकारी व्यवस्था को उनके साथ क्रूर मजाक बता रहे हैं । क्वारंटाईन सेंटर में ना तो रहने की व्यवस्था ठीक से है और ना तो खाने पीने की, शौचालय और सोने की व्यवस्था की तो बात ही निराली है और ना ही उनके लिए कोई चिकित्सीय व्यवस्था ही मौजूद है । इन प्रवासी मजदूरों का कहना है कि हम लोग कोरोना से नहीं बल्कि लगता है कि भूख और डेंगू से जरूर मर जाएंगे ।
इनका कहना है की सहरसा जिले के क्वारंटाईन सेंटर पर रह रहे मजदूरों का कहना है कि एक तो उन्हें बस में भेड़-बकरी की तरह भर कर क्वारंटाईन सेंटर पर भेज दिया गया है लेकिन यहाँ ना रहने का की कोई व्यवस्था है और ना ही ही खाने-पीने की । चारो तरफ गंदगी फैली हुई है ।ना पंखा है और ना ही बिजली ।और ना ही मच्छरदानी ही है ।पुरी रात मच्छर काटता है । खाने के लिए पत्तल पर देता है ।वो भी सूखा चुरा और हरि मिर्च के साथ नमक ।जब से आए हैं कोई डॉक्टर भी चेकअप करने नहीं आया है ।कभी झारु तक लगाने के लिए कोई भी कोई नहीं आया है ।जहाँ उन्हें रखा गया है,उस जगह को कभी सेनेटाईज नहीं किया गया है ।
यह आलम लॉर्ड बुद्धा मेडिकल कालेज के क्वारंटाईन सेंटर का है ।इस सेंटर को जिला प्रशासन आदर्श क्वारंटाईन सेंटर की संज्ञा दिए हुए है ।यहाँ, ये हाल है कि आप बाथरूम में जा भी नहीं जा सकते हैं ।बेसिन के पास जाइएगा तो, किसी न किसी दूसरी बीमारी से ग्रसित हो जाइएगा ।मजदूरों का कहना है कि हम लोग को कोई सुविधा नहीं दी जाती है ।घर से अगर मच्छरदानी या और कुछ मंगाते हैं,तो वह भी मंगाने नहीं देता है ।आदर्श मध्य विद्यालय नौहट्टा में क्वारंटाईन सेंटर पर भी प्रवासी मजदूरों की यही व्यथा है ।आखिर सरकार एक मजदूर पर तीन सौ रुपये रोजाना खर्च और तरह-तरह की सुविधाएं देने का दावा कर कर रही है,तो ये सारी सुविधाएं और दावे जा किधर रहे हैं ? सवाल ये उठ रहा है कि यह कोरोनाकाल सभी अधिकारी और कर्मियों के लिए लुटोनाकाल बनकर रह गया है ।