मुजफ्फरपुर (बिहार) : देश मे कोरोना के इस महासंकट के बीच, जहां बड़ी संख्या में प्रवासियों के आने का सिलसिला जारी है,वहीँ अब कई प्रवासी अपने परिवार की जिंदगी को महफूज रखने और उनके भरण-पोषण के लिए फिर से दूसरे प्रांत लौटने के लिए मजबूर दिख रहे हैं । कोरोना ने देश में दिल दहला देने वाली ना जानें कितनी जीवंत तस्वीरें दिखाई है ।प्रवासियों के घर वापसी के लिए अनन्य पीड़ा, दर्द, व्यथा और जंग को दिखाया है ।
कोरोनाकाल में, लाखों की संख्या में बिहार के बाहर फंसे मजदूर वर्ग सहित अन्य प्रवासी बिहार आने के लिए छटपटाते दिखे ।22 लाख से अधिक प्रवासियों को बिहार सरकार अपने प्रदेश वापिस ले भी आयी है । लेकिन इसी बीच फिर से लोगों का पलायन दूसरे सूबे के लिए होना शुरू हो गया है ।अब ट्रेन के परिचालन के कारण कई मजदूरों ने अपनी जिंदगी को जीने और परिवार का भरण-पोषण के लिए बाहर जाने को मजबूर हो गए हैं । वो भी इस कोरोना के डर के माहौल में, जिसने उन्हें वापस अपने प्रदेश आने के लिए मजबूर कर दिया था ।मुजफ्फरपुर से दिल्ली जाने वाली ट्रेनों में जहां कई लोग दिखे, जो बाहर वापस जाने के लिए मजबूर दिखे । इन्हें कोरोना का डर भी रोक नहीं सका है और ये कहते हैं कि जीना है तो कोरोना के साथ ही जीना है । इसलिए हम रोजी-रोजगार के लिए फिर से जा रहे हैं ।
वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार सिंह