पटना (बिहार) : मशहूर भोजपुरी अभिनेत्री सुप्रिया के बेबाक सच ने, भोजपुरी सिनेमा उद्योग में तहलका मचा दिया है।भोजपुरी के मशहूर संगीतकार धनंजय मिश्रा की मौत के बाद पूरे भोजपुरी इंडस्ट्री को कटघरे में खड़ा करने वाली अभिनेत्री सुप्रिया अंश चतुर्वेदी ने 11 जून को कई राष्ट्रीय चैनलों पर आकर भोजपुरी सिनेमा के कई बड़े चेहरे को बेनकाब किया। सुप्रिया ने खुलेआम पूरी इंडस्ट्री के निर्माता, निर्देशकों और अभिनेताओं को भी कटघरे में खड़ा किया है। सुप्रिया ने बड़ी बेबाकी से, अभिनेत्रियों के यौन शोषण पर खुल कर बोली और साथ ही साथ, अपने साथ हुए कई अनुभवों को भी मीडिया के साथ साझा किया। हम सुप्रिया अंश चतुर्वेदी के इस साफगोई के बेहद मुरीद हुए और हमने उनके पर्सनल मोबाइल नम्बर का इंतजाम कर, उनसे लंबी बातचीत की। सुप्रिया को हमने अपने बारे में बताया और यह साफ कर दिया कि हम सच के सिपहसालार हैं और सच ही हमारा लहू,ओढ़ना और बिछौना है। सुप्रिया ने हमें गम्भीरता से सुना और बेहद भावुक हो उठीं। सुप्रिया ने दावे के साथ कहा कि उनके पास कई बड़े लोगों के खिलाफ, देहपोशी और अय्यासी के पुख्ता प्रमाण हैं। उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि इंडस्ट्री में उन्हें काम मिलेगा या नहीं मिलेगा। वे इंडस्ट्री की गंदगी को जनता के सामने लाना चाहती हैं।
जो लोग सोशल मीडिया पर अपना चेहरा चमकाते हुए नजर हैं उनके पीछे का काला सच काफी घिनौना है। सुप्रिया ने कहा कि भोजपुरी काफी नई इंडस्ट्री है लेकिन यहाँ गंदगी और यौन शोषण एक रिवायत बन गयी है। खासकर नवोदित अभिनेत्रियों का, यहाँ सबसे अधिक शारीरिक शोषण होता है। फिल्मों में काम पाने के लिए लड़कियों को, कई स्तरों पर समझौता करना पड़ता है। सुप्रिया ने कहा कि शुरुआत में लड़कियों को लगता है कि एक-दो बार जिश्म सौंप देने से, उन्हें फिल्मों में काम मिल जाएगा या फिर आगे वह खुद को स्थापित कर लेंगी। लेकिन बाद में वही लोग पूरे इंडस्ट्री में इस तरह की चीजों को प्रचारित कर देते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि उसके बाद हर एक नया निर्माता और निर्देशक उन लड़कियों से फिल्म में काम देने के बहाने, कुछ और ही चाहने लगते हैं जिसे जाने-अनजाने में उन्हें पूरा करना पड़ता है। हालांकि सुप्रिया ने यह भी स्वीकार किया कि इन्डस्ट्री में अच्छे लोग भी हैं लेकिन वे सिर्फ गिने-चुने हैं। अधिकांश लोग ऊपर से कुछ और हैं और अंदर से कुछ और। सुप्रिया ने बताया कि भोजपुरी सिनेमा में चलती तो सिर्फ नायक की ही होती है और जो भी कर्म-कुकर्म होता है, उसमें नायकों की भी सहभागिता होती है। यह एक बड़ा सच है कि फिल्मों में तानाशाह की भूमिका में नायक होते हैं। वही डिसाईड करते हैं कि उनके फ़िल्म की कौन हीरोइन कौन होगी और बांकि करेक्टर कौन-कौन होंगे। यहाँ तक कि अब गीतकार, म्यूजिक डायरेक्टर भी, नायक ही डिसाईड करते हैं। हद की इंतहा, तो इस बात की है कि अगर किसी लड़की के साथ कुछ गलत होता है, तो उसकी मदद करने के बजाय वह नायक भी उस में, छककर मजा लेते हैं। उन्होंने कहा कि जिन लड़कियों के साथ गलत होता है, अगर हिम्मत कर के वे सभी सामने आना चाहती हैं तो, बांकि लोग उन्हें इतना डरा-धमका देते हैं कि वह चाह कर भी कुछ नहीं बोल पाती हैं और इस तरह से शोषण की कहानी दबकर रह जाती है। पर वे चुप नहीं बैठने वाली हैं। आने वाले दिनों में पुख्ता प्रमाण के साथ वह कई बड़े चेहरे को बेनकाब करेंगी। दुनिया को पता चलना चाहिए कि कम्बल ओढ़कर घी पीने वाले लोग, कितने बयानवीर और चमकीले होते हैं। वाकई सुप्रिया अंश चतुर्वेदी, ना केवल एक साहसी युवती हैं बल्कि उन्हें नारी महात्म्य का पूरा भान भी है। सुप्रिया की इस मुहिम में हम भी उसके कवच बने रहेंगे।
मुकेश कुमार सिंह