जहाँ कोरोना वायरस (Coronavirus) की वजह से सिनेमा घरों में ताले लगे हैं, तो वहीँ, हमारे एक्टर्स आए दिन अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर नयी- नयी फिल्में निकाल कर लोगों को घरों में रहना, थोड़ा आसान बनाने की कोशिश में लगे हैं। शुक्रवार को अमेज़ॉन (Amazon Prime) पर गुलाबो सिताबो (Gulabo Sitabo) रिलीज़ हुई। बता दें कि जब से इस मूवी का ट्रेलर आया था, तब से ही लोगों में इस फिल्म को देखने की एक चाह हो गयी थी । कई लोगों के लिए मूवी की कहानी वजह थी, तो कई लोग अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना को काफी समय बाद देखने के लिए काफी इच्छुक थे ।
इस फिल्म को सुजित सरकार (Shoojit Sircar) ने डायरेक्ट किया है । इससे पहले सुजित सरकार ने पीकू और अक्टूबर जैसी फिल्में की हैं । साथ ही, इस मूवी की राइटर जूही हैं और मूवी के प्रोड्यूसर है रॉनी लाहिड़ी और शील कुमार । म्यूजिक दिया है शांतनु मोइत्रा, अभिषेक अरोड़ा और अनुज गर्गजॉनर ने । यह फिल्म 2 घंटे 4 मिनट की है । कहते हैं ना लालच बुरी बला है, उसी का उदाहरण देती है यह फिल्म। अब बात करते है मूवी की कहानी की।
फिल्म की कहानी
मूवी की कहानी लखनऊ के फातिमा महल की है, जिसकी मालकिन बेगम हैं, जो अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) यानि मिर्जा की पत्नी है ।वह अपने पति से उम्र में 17 साल बड़ी हैं। उनके घर में काफी सालों से कुछ किरायेदार रह रहे हैं, जिसमें से एक बांके, यानि आयुष्मान खुराना (Ayushmann Khurrana) भी हैं । बांकि किरायेदार 70 रुपये महीना किराया देते हैं लेकिन बांके सिर्फ 30 रुपये महीना देते थे । बांके ने 3 महीने से किराया नहीं दिया था । वैसे तो बांके आटे की चक्की चलाते हैं लेकिन जब किराया देने की बात आती है, तो अलग-अलग बहाने बनाते हैं । मूवी इतनी धीमी गति से आगे बढ़ती है, जिस कारण आधे लोग मूवी आगे देखना पसंद नही करेंगे और बीच में ही मूवी छोड़ देंगे।
मूवी में ट्विस्ट तब आता है जब मिर्जा एक वकील के साथ मिलकर पूरा महल हड़पने का प्लान बनाते हैं । और उधर, बांके एलआईजी फ्लैट के लालच में आर्कियोलॉजी विभाग के एक अधिकारी से मिलकर इसे पुरातत्व विभाग को सौंपने की योजना बना लेता है । पूरी मूवी में सब एक दूसरे से ज्यादा चालाक बनने की कोशिश करते हैं और फातिमा महल हड़पने की भी कोशिश चलती है लेकिन मज़ा तब आता है जब आखिर में सब की चतुराई धरी रह जाती है, बाजी कोई और मार ले जाता है।
डिम्पल सूद