पटना (बिहार): पटना जिले के बिहटा प्रखंड के बेला गांव निवासी पैक्स अध्यक्ष सह भोजपुरी फिल्मों के चर्चित अभिनेता रोहित राज यादव रील के साथ रियल लाइफ में भी हीरो है ।भोजपुरी सिनेमा में एक अलग तरह का हस्तक्षेप रखने वाले रोहित राज, विपदा के इस कोरोना काल में विगत दो महीने से दानापुर, बिहटा, मनेर और पटना के कई इलाकों में अपनी टीम माँ शांति इंटरटेनमेंट के माध्यम से अब तक हजारों लोगों की सहायता कर चुके हैं । गौरतलब है कि रोहित इस सहायता को जगजाहिर नहीं करना चाहते हैं । रोहित के टीम में 3 दर्जन से ज्यादा सक्रिय सदस्य हैं, जो जरूरतमंद लोगों के घरों तक चावल, आटा,दाल, प्याज,सोयाबीन,सरसों तेल, सब्जी और दवाई सहित अन्य सामग्री पहुँचा रहे हैं । जिन लोगों को सहायता दी जाती है, ना उनकी तस्वीर ली जाती है और ना ही वीडियो ही बनाया जाता है ।
रोहित खुद पूरे अभियान की मानिटरिंग कर रहे हैं ।आज मोबाइल के जरिये हुई बातचीत के क्रम में, रोहित ने बताया कि संकट के इस काल में अगर, वे लोगों के चेहरे पर मुस्कान ला पाते हैं, तो यही उनके लिए सबसे बड़ी उपलब्धि और सबसे बड़ी सुकून की बात है । पिछले साल प्रदर्शित भोजपुरी फिल्म यह इश्क बड़ा बेदर्दी है से चर्चा के बड़े फलक पर आए, रोहित राज की अगली फिल्म प्यार होता है दीवाना सनम, लगभग बनकर तैयार है । इस फिल्म में गुंजन पंत के संग उनकी जोड़ी, दर्शक देख सकते हैं । इस संकट की घड़ी में, रोहित राज, भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में कार्यरत 300 से ज्यादा टेक्नीशियन, कैमरामैन, क्रू मेंबर को भी भरपूर आर्थिक सहायता पहुँचा चुके हैं । हमसे हुई बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि जिस तरह का संकट है, इसमें जितनी भी सहायता की जाए, वह बेहद कम है । लेकिन अगर सभी सामर्थ्यवान लोग थोड़ी-थोड़ी सी भी सहायता करेंगे, तो लाखों लोगों तक सहायता पहुँच जाएगी । रोहित राज कहते हैं कि उनके पास, साधन सीमित है पर काम करने का उनका हौसला काफी बड़ा है । रोहित ने बताया कि अभी सबसे बड़ी समस्या भूख की है । लोगों का रोजी-रोजगार बंद है । खाने-पीने की वस्तुओं का अभाव है, या फिर वे समाप्त हो गए हैं । ऐसे में, उनके द्वारा अनाज के वितरण को प्राथमिकता दी गई है । लाचार बीमार लोगों को दवाइयां पहुंचाई जा रही है । छोटे बच्चों के लिए खाने-पीने की वस्तुएं और दूध दी जा रही है । साथ ही साथ, जागरूकता अभियान को भी चलाया जा रहा है ।
रोहित ने कहा कि वे अपने स्तर से, अपने इलाके में वापस लौटे मजदूरों और कामगारों के लिए रोजगार की व्यवस्था के दिशा में भी पहल कर रहे हैं । लॉकडाउन की समाप्ति के बाद वे अपने स्तर से लघु और कुटीर उद्योग, जिसमें पापड़ अचार, बड़ी मोमबत्ती, अगरबत्ती निर्माण जैसी इकाईयों की शुरुआत करने जा रहे हैं । साथ ही साथ, स्वयं सहायता समूह के निर्माण की दिशा में भी वे जुट गए हैं, जिसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में औषधीय पौधों, मछली पालन, बकरी पालन और सब्जी की खेती को भी बढ़ावा दिया जाएगा । एक फिल्मी बंदे की ऐसी संजीदगी और उनके द्वारा किये जा रहे कार्य, देश को एक अजीम संदेश दे रहा है । वाकई इस नाजुक समय में बड़े-बड़े धनकुबेर, जो अभी सोए हुए हैं उन्हें दानवीर बनकर मदद के मैदान में उतरना चाहिए ।